Aankhon ki Gustaakhiyaan maaf hon!....:)
June 4, 2007....I was on the train for my journey back To Ranchi when I made this sketch.I got aboard the train at bangalore and I remember it was some stop in between where these nice eyes came on the front seat of Mine.This conservative Muslim girl, obviously was in burkha, thoroughly covered except eyes....and Believe me, I relived the 'Bombay' and 'Dil se' Romance next 38 hrs. in the train.Heights of sheer idiocy,immaturity,adoloscence,bravery,or whatever you call, I decided to sketch this girl....:))
Mission: सामने लड़की की आँखों की sketch (बुरखे में ),
Risks: the model(वो लड़की ख़ुद ),बगल में उसके बाबूजी (लुंगी और कुरते में )और साथ में एक दो और मर्द (शायद उन खातून के पति या रिश्तेदार ), मेरे बगल में बैठी हुई अम्मा (60-65 yrs), कोई एक और हजरत , एक 8-10 साल का बच्चा और बाकी हटिया -यशवंतपुर express की चहल पहल ...
Disturbances: हिल्ती हुई Train, शोर -शराबा, पकड़े जाने का डर , limited space, और sketch को चोरी छिपे बनाने का ख़याल , शोर मचाता उछल कूद करता वो बच्चा ,चिलचिलाती हुई गर्मी and ample other disturbances...:)
आपका अपना ,
Sukhanwar Sakht Jaani
Risks: the model(वो लड़की ख़ुद ),बगल में उसके बाबूजी (लुंगी और कुरते में )और साथ में एक दो और मर्द (शायद उन खातून के पति या रिश्तेदार ), मेरे बगल में बैठी हुई अम्मा (60-65 yrs), कोई एक और हजरत , एक 8-10 साल का बच्चा और बाकी हटिया -यशवंतपुर express की चहल पहल ...
Disturbances: हिल्ती हुई Train, शोर -शराबा, पकड़े जाने का डर , limited space, और sketch को चोरी छिपे बनाने का ख़याल , शोर मचाता उछल कूद करता वो बच्चा ,चिलचिलाती हुई गर्मी and ample other disturbances...:)
Methodology:
step1: Piyush Raj ऊपर के बर्थ पर नींद आने का बहाना करते हुए जा चढ़ते हैं , इनसे बगल वाली अम्मा को नीचे के बिरथ पे आराम होता है और उनकी आँख लग जाती है ...लुंगी वाले मामू अम्मा के पैर के पास जाके बैठ जाते हैं , बाकी के लोग compartment के दरवाज़े के पास गपशप करने को चल देते हैं ...बूढे हज़रत अपने साथ के बच्चे को लेकर उधर की सीट पे हो लेते हैं ...
consequent scene: मक्तूला खातून हमारे ठीक सामने खिड़की के पास ....उनके अब्बा हुज़ूर मेरे berth के नीचे , अम्मा भी नीचे (खर्राटे लेती हुई )...सामने की ऊपर वाली बिरथ पे सामन रखा हुआ ....बच्चा और बूढे हज़रत दूसरे तरफ़ की खिड़की से बाहर देखते हुए ....मतलब सख्त जानी के पास बचते हैं कुल 20 -30 minute ।
step2: सख्त जानी सोचता है की क्या खातून को इशारा किया जाए की ज़रा नकाब को रुख़ से हटाएं , ताकि मुझे sketch में आसानी हो ...या बिना बताए जो भी बन पड़े बना लूँ ...
इसी कशमकश में नकाबपोश खातून ऊपर देखती हैं और इनकी नज़र मेरी नज़र से दो -चार होती हैं ....and a Flash...I immediately knew what to draw in the next 20 mins....आँखें....although i lost the eye contact next moment for the next few hours...but started sketching her then itself....
step 3: नकाब काफ़ी काम आता है ....समय बचाता है ...और मैं layer charcoal sketching कर
के अच्छी shading करने में कामयाब होता हूँ ...आँखें पूरी तरह से तो नहीं ...मगार हाँ , थोडी बहुत कागज़ पर उतर आती हैं ....और मैं अन्दर ही अन्दर मन में ठहाके लगाता हूँ ....
step4: बात थी की आख़िर उन खातून को कैसे बताऊँ की मैंने उनकी आंखों को sketch करने की गुस्ताखी already कर डाली है .....कहीं अपने अब्बा हुज़ूर को इशारा ही कर दिया , तो राँची पहुचते पहुचते ज्यादा body parts काम के नहीं होंगे सख्त जानी के....and I hate accepting this, but I am touchy about my body...:P....खैर ...एक idea आया ...मैंने अपनी स्केत्च बुक गिरा दी पेंसिल के साथ .....और फ़िर नीचे झाँका .....
consequence: scene confirm हो गया की बूढी अम्मा , और लुंगी मामू जान खर्राटे भर रहे हैं ...मक्तूला नकाब नीचे कर के नीचे झुकती हैं ...sketch book उठाती हैं .....और side में रख देती हैं ....अचानक उनका ध्यान उस sketch पे जाता है जो ताज़ा तरीन बनी है ...और उनकी आंखों में हैरत भर आती है .....
Subsequently, I recieve one of the best compliments of my life then itself....when her hands point once to the sketch,once to her eyes, and then to me if i had done this now....and out of control Piyush raj गधे की तरह सर हिलाते हैं ....(yes yes..मैंने ही बनाया है ....बस मामू जान को मत उठाना...तुम्हें कसम है...मंजरी!!)....and the compliment is a आदाब gesture with removal of the nakaab from rukh for few minutes...
सख्त जानी बता नहीं सकते उस वक्त क्या गुजरी थी उनपे ...
उम्मीद करता हूँ आपको ये sketch पसंद आई होगी ....और साथ ही साथ ये भी की कहीं उन खातून को भी ये ब्लॉग दिख जाए ...जहाँ भी हैं ..
मौका मिल गया तारीफ़ पाने का तो एक और sketch बनाने की ठान ली सख्त ने , इस बार मुस्कान को साथ समेटते हुए ....:))
was it made possible? what happened next....where is the next sketch.....stay tuned to www.piyushraj.blogspot.com....
step1: Piyush Raj ऊपर के बर्थ पर नींद आने का बहाना करते हुए जा चढ़ते हैं , इनसे बगल वाली अम्मा को नीचे के बिरथ पे आराम होता है और उनकी आँख लग जाती है ...लुंगी वाले मामू अम्मा के पैर के पास जाके बैठ जाते हैं , बाकी के लोग compartment के दरवाज़े के पास गपशप करने को चल देते हैं ...बूढे हज़रत अपने साथ के बच्चे को लेकर उधर की सीट पे हो लेते हैं ...
consequent scene: मक्तूला खातून हमारे ठीक सामने खिड़की के पास ....उनके अब्बा हुज़ूर मेरे berth के नीचे , अम्मा भी नीचे (खर्राटे लेती हुई )...सामने की ऊपर वाली बिरथ पे सामन रखा हुआ ....बच्चा और बूढे हज़रत दूसरे तरफ़ की खिड़की से बाहर देखते हुए ....मतलब सख्त जानी के पास बचते हैं कुल 20 -30 minute ।
step2: सख्त जानी सोचता है की क्या खातून को इशारा किया जाए की ज़रा नकाब को रुख़ से हटाएं , ताकि मुझे sketch में आसानी हो ...या बिना बताए जो भी बन पड़े बना लूँ ...
इसी कशमकश में नकाबपोश खातून ऊपर देखती हैं और इनकी नज़र मेरी नज़र से दो -चार होती हैं ....and a Flash...I immediately knew what to draw in the next 20 mins....आँखें....although i lost the eye contact next moment for the next few hours...but started sketching her then itself....
step 3: नकाब काफ़ी काम आता है ....समय बचाता है ...और मैं layer charcoal sketching कर
के अच्छी shading करने में कामयाब होता हूँ ...आँखें पूरी तरह से तो नहीं ...मगार हाँ , थोडी बहुत कागज़ पर उतर आती हैं ....और मैं अन्दर ही अन्दर मन में ठहाके लगाता हूँ ....
step4: बात थी की आख़िर उन खातून को कैसे बताऊँ की मैंने उनकी आंखों को sketch करने की गुस्ताखी already कर डाली है .....कहीं अपने अब्बा हुज़ूर को इशारा ही कर दिया , तो राँची पहुचते पहुचते ज्यादा body parts काम के नहीं होंगे सख्त जानी के....and I hate accepting this, but I am touchy about my body...:P....खैर ...एक idea आया ...मैंने अपनी स्केत्च बुक गिरा दी पेंसिल के साथ .....और फ़िर नीचे झाँका .....
consequence: scene confirm हो गया की बूढी अम्मा , और लुंगी मामू जान खर्राटे भर रहे हैं ...मक्तूला नकाब नीचे कर के नीचे झुकती हैं ...sketch book उठाती हैं .....और side में रख देती हैं ....अचानक उनका ध्यान उस sketch पे जाता है जो ताज़ा तरीन बनी है ...और उनकी आंखों में हैरत भर आती है .....
Subsequently, I recieve one of the best compliments of my life then itself....when her hands point once to the sketch,once to her eyes, and then to me if i had done this now....and out of control Piyush raj गधे की तरह सर हिलाते हैं ....(yes yes..मैंने ही बनाया है ....बस मामू जान को मत उठाना...तुम्हें कसम है...मंजरी!!)....and the compliment is a आदाब gesture with removal of the nakaab from rukh for few minutes...
सख्त जानी बता नहीं सकते उस वक्त क्या गुजरी थी उनपे ...
उम्मीद करता हूँ आपको ये sketch पसंद आई होगी ....और साथ ही साथ ये भी की कहीं उन खातून को भी ये ब्लॉग दिख जाए ...जहाँ भी हैं ..
मौका मिल गया तारीफ़ पाने का तो एक और sketch बनाने की ठान ली सख्त ने , इस बार मुस्कान को साथ समेटते हुए ....:))
was it made possible? what happened next....where is the next sketch.....stay tuned to www.piyushraj.blogspot.com....
आपका अपना ,
Sukhanwar Sakht Jaani
koi talent to chhod diya hota yaar...!!! dekho dusro ke paas kitni killat hai...:(
ReplyDeletebhagwan ne bacha liya tumhe...aisi harqat karna khatre se khali nai hai...wo bhi yahaan...:D
khair banane wale ko banane ka bahana chahiye...chahe wo koi indian beauty ho ya uska baap...lage raho...