तलाश ए तबस्सुम-ए-शमशीर
ख्वातीन-ओ-हज़रात को ये इत्तिला की जाती है की एक ऐसे ही तस्वीर की मानिंद दिखने वाली मोहतरमा ने सख्त जानी का दिल चुरा रखा है और बंदी बना रखा है ज़माने पहले से ....जब सख्त जानी को हकीक़त मालूम हुई की उनका दिल गुमशुदा है और वो हवस ए रफ्ता होकर के जो अपने दिल की तलाश में मारे मारे फ़िर रहे हैं वो इन खातून के पास बरसों से महफूज़ है...तो उन्होंने इन खातून को इत्तिला भी की और उनसे ये दरख्वास्त भी के अगर हो सके तो इन्हें इनका दिल वापस मुराजिआत किया जाए..और अगर मोहतरमा सूद चुकाना चाहें इतने दिनों की बंदिश का तो ख़ुद भी साथ चली आएं ..तो बड़ी बेरुखी से फटकारते हुए मोहतरमा ने सख्त जानी को बाहर की राह दिखा दी...
नतीजन सख्त जानी आप सब को इस ब्लॉग के ज़रिये इस पत्थर दिल हसीना का हुलिया बयान करते हैं..ये हुलिया मेरी याददाश्त के दम पर बना है...और इसमे मैं आँखें नहीं बना पाता कभी क्यूंकि इन चमकीली आंखों को बनाते समय इनमे फ़िर से खो जाने का डर है ...ये बर्क सी फुर्तीली, फूल सी नाज़ुक मगर तल्ख़ रवैये से दिल तोड़ देने वाली हूर इस वक्त हिदुस्तान की सरज़मीन पे ही कहीं ये ब्लॉग पढ़ के हँस रही हैं....सख्त जानी का दिल और दुखता है ये देखकर...मगर कोई बात नहीं...इजहार ए मुहब्बत का ये एक और मुकम्मिल ज़रिया ही सही .:)
आप में से जो भी जनाब ओ मोहतरमा इस हूर को मेरे पास लाकर एक मुकम्मिल गुफ्तागू कराने में कामयाब होंगे , सख्त जानी उन्हें मुँह मांगी चीज़ अता करने को तैयार हैं....अगर कोई वाकई जांबाज़ शक्सियत मुझे इनसे जोड़ देने में कामरान रहे, या फ़िर अगर मुझे मेरा दिल ही वापस दिलवा पाए, ये सख्त जानी की ज़बान रही की ता उम्र आपका क़र्ज़ दार रहेगा वो.....
इसीलिए मेरी आपसे दिल से ये इल्तजा है की इस मक्तूब को सख्त जानी का सीधा दिली पैगाम समझें...और इनकी दिल ओ जान से तलाश कर के सख्त जानी को ख़बर करें....
आपका तलबगार-ए-मुहब्बत,
सुखनवर सख्त नतीजन सख्त जानी आप सब को इस ब्लॉग के ज़रिये इस पत्थर दिल हसीना का हुलिया बयान करते हैं..ये हुलिया मेरी याददाश्त के दम पर बना है...और इसमे मैं आँखें नहीं बना पाता कभी क्यूंकि इन चमकीली आंखों को बनाते समय इनमे फ़िर से खो जाने का डर है ...ये बर्क सी फुर्तीली, फूल सी नाज़ुक मगर तल्ख़ रवैये से दिल तोड़ देने वाली हूर इस वक्त हिदुस्तान की सरज़मीन पे ही कहीं ये ब्लॉग पढ़ के हँस रही हैं....सख्त जानी का दिल और दुखता है ये देखकर...मगर कोई बात नहीं...इजहार ए मुहब्बत का ये एक और मुकम्मिल ज़रिया ही सही .:)
आप में से जो भी जनाब ओ मोहतरमा इस हूर को मेरे पास लाकर एक मुकम्मिल गुफ्तागू कराने में कामयाब होंगे , सख्त जानी उन्हें मुँह मांगी चीज़ अता करने को तैयार हैं....अगर कोई वाकई जांबाज़ शक्सियत मुझे इनसे जोड़ देने में कामरान रहे, या फ़िर अगर मुझे मेरा दिल ही वापस दिलवा पाए, ये सख्त जानी की ज़बान रही की ता उम्र आपका क़र्ज़ दार रहेगा वो.....
इसीलिए मेरी आपसे दिल से ये इल्तजा है की इस मक्तूब को सख्त जानी का सीधा दिली पैगाम समझें...और इनकी दिल ओ जान से तलाश कर के सख्त जानी को ख़बर करें....
आपका तलबगार-ए-मुहब्बत,
i wish i cud comment in urdu...:)
ReplyDeletefor the first time i felt the power of this humble language...man...u can really abuse in a humble way..hai na?
khuda se yehi darkhwast hai ki aapke bechain dil ko chain mile...
life is about giving n moving on...
pata nai kyun ye padhkar all i thought was this work from d legend harivanshrai bachchan...
jivan mein ek sitara tha
mana wo behad pyara tha
wo doob gaya to doob gaya
ambar ke aanan ko dekho
kitne iske taare toote
kitne iske pyaare chhoote
jo chhoot gaye phir kahaan mile
par bolo in toote taaron par
kab ambar shok manata hai
jo beet gayi so baat gayi
mast poem hai n i found it very impressive..ye bhi usi gam mein likhi gai thi shayad jiska ehsas tumhe hai...
sketch mast hai yaar...
but..but...ise dekh ke mujhe kuch yaad aa gaya...ha ha..:D
LOVE
ReplyDeleteWhere are you tonight my love?
What is it that you do?
It’s true my heart is torn apart
When I’m not with you
What enchanted thoughts swim through your head?
Are any of them of me?
When, my dear, you go to bed
Is it my face you see?
Who is honoured by your presence now?
And do they care?
The thought of you not being admired
Fills me with despair,
Do they appreciate your loneliness?
Do they marvel at your splendor?
Do they love to hear your velvet voice?
Do they adore your smile so tender?
If they do not
Then they all are fools
And had you been with me
Everyday, my love, you’d be a queen
Because that’s what you are to me.
I’m at your feet
And I come with gifts
My body, heart and soul
They’re yours to do with as you please
To command and to control
I give myself with all my heart
I’m yours for all of time
Your slave, your king, your anything
Only say that you are mine.
Feelings that once were hidden
Are now expressed to you
Days that once were stormy
Are now the brightest blue.
Times that once were lonely
Are now filled with pleasure
All that once was mine alone
Are now things we both treasure
Nights that once were cold
Are now comforting and warm
Fears that once were very real
Are now gone with the storm
A heart that once was broken
Can now finally mend
A person once alone in life
Can now call you a sweetheart
Dreams that once were longed for
Are now all coming true
The love I once thought was gone
I have now and forever in you.
Thanks Amrit...mujhe shaayad hi aajtak kisi ki kavitaaon ne itna prabhaavit kiya hai jitna Bacchan saahab ki kavitaao mein....inmein ek alag hi Urja nihit hoti hai...vichaaron ki abhivyakti aise prabhaavshaali dhang se karne ki kalaa virle hi dikhti hai....
ReplyDeleteRahi baat Urdu ki, so all I can say is that:
Naksh fariyaadi hai kiski shokhi-e-tehreer ka,
kaaghazi hai pairahan har Paikar-e-tasveer ka....
Humble Regards,
Sakht